डिजिटल लिट्रेसी

 डिजिटल लिट्रेसी :               ••••••••••••••••••       

नया concept है। पर महत्वपूर्ण है। बहुत से देश जैसे फ़िनलैंड, न्यूजीलैंड आदि इस पर काम कर रहे। ये पाठ्यक्रम युवाओं के syllabus में जोड़ा जा रहा है। जिसमें उन्हें विश्वसनीय जानकारी और भ्रामक जानकारी के बीच का अंतर समझाया जा रहा है। 

Helinsiki university में अध्ययन में एक ऐसा पाठ्यक्रम जोड़ा गया जो डिजिटल साक्षरता पर बच्चों को trained कर रहा है।जिसमें प्रशिक्षित बच्चों में 30 से 35 प्रतिशत  अधिक समझ विकसित हुई। वह अब विश्वसनीय content को पहचानने लगे हैं और गलत भ्रामक जानकारीयों से दूर रहने लगे है। 

इसी तरह न्यूजीलैंड में 2019 के बाद हेट स्पीच और फेक न्यूज़ के लिए सख्त नियम बनाये गए। जिसके परिणामस्वरूप वह युवाओं के लिए सुलभ नहीं हो सके। ऐसे कम्युनिटी groups बनाये जाने लगे जो नफरती भाषणों के विपरीत लोगों में अपनेपन का संदेश प्रसारित करने लगे। आंतरिक मामलों के एक सर्वे ने ये जाहिर किया कि इन कम्युनिटी ग्रुप्स में भाग लेकर लोगों की डिजिटल समझ बढ़ी। और वह सही गलत को पहचानने लगे। 

क्या ऐसा भारत में भी नहीं किया जा सकता है। जहां कम उम्र में ही सोशल मीडिया की वजह से बच्चे समय से पहले विकसित हुए जा रहे हैं। पर इसके लिए गहरे जज्बे और लगन की जरूरत है। 

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