40 साल अब भी दोस्त वही पुराने
40 साल,अब भी दोस्त वही पुराने ~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~
दोस्ती के क्या मायने होते हैं....क्या सिर्फ़ साथ कुछ वक्त गुजारना,या एक दूसरे को पसन्द करना वग़ैरह । नहीं....ये दोस्ती नहीं मात्र क्षणिक आकर्षण है कुछ अच्छा वक्त गुजारने के लिए। दोस्ती वो होती है जो एक लंबा समय गुजरने के बाद भी एक दूसरे के साथ खुशनुमा वक्त गुजारने की ललक पैदा करें।
हमारी कुछ ऐसी ही दोस्ती है। हम 38-40 साल पहले ग्रेजुएशन के समय एक दूसरे से मिले। साथ होस्टल में मज़ेदार समय गुजारा। फिर जिंदगियां हमें दूसरे रास्तों पर ले गईं। सबकी शादियां हो गईं। अलग अलग जगहों पर सब रहने लगे। थोड़ा संपर्क भी कम हो गया। कारण सबकी नई जिंदगियां और बदले address और जगह....पर कहते हैं कि लगाव हो तो सिरे मिल ही जाते हैं। किसी एक को कोई मिला तो उसने दूसरे का पता बताया। बस इसी सिलसिले ने हम सब को वापस मिलवा दिया।
आज हम सब अपने बच्चों की शादियों और functions में मिलते हैं और खुद बच्चे बन कर मज़े करते हैं। Video calls पर matching dresses decide करते हैं। ताकि सब एक जैसे दिखें। अगर matching ना मिले तो खरीदते हैं। functions में अपनी अपनी लाई accessories एक दूसरे के साथ share करते हैं । कोशिश करके एक ही जगह ठहरते हैं। ताकि रात को धींगा मस्ती की जा सके। कुछ पुराने कुछ नए किस्से share किये जा सके। ये ही असली दोस्ती है जो पिछले 40 सालों से कायम है और आगे भी चलेगी। क्योंकि जो सुकून पुराने दोस्तों के साथ मिलता है वो कहीं और नहीं....
घर,गृहस्थी,परिवार,पति,बच्चे, बचा हुआ दूध दही सब कुछ.... कुछ समय के लिए भुला कर हम सब बस एक दूसरे के साथ जीने लगते हैं। फिर से वही पुराने दिन,जब हम पर कोई जिम्मरियाँ नहीं थी। बस सबसे अच्छा दिखने की होड़ थी। जो आज 40 साल बाद मिलने पर आज भी कायम है । क्या हुआ जो उम्र थोड़ी सी बढ़ी है। दोस्ती तो थोड़ी और पक कर मजबूत ही हुई है ना।
तो आप भी जाइये जिंदगी के पन्ने वापस पलटिये। कुछ पुराने दोस्तों को तलाशिये। उनसे संपर्क करने की कोशिश करिए। ये फ्री की दवा है जो रगो में दौड़ते हुए खून का flow बेहतर करती है।
"क्योंकि बड़प्पन तो सभी सिखाते हैं। बचपना सिर्फ पुराने दोस्त ही करवाएंगे।"
दिल को बच्चा फिर से बनाइये जी .....😊
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