सपनों की अवास्तविक दुनिया
सपनों की अवास्तविक दुनिया : ••••••••••••••••••••••••••••••
सपनों की दुनिया रहस्यमयी और जटिल होती है, जिसमें हमारा अवचेतन मन विभिन्न प्रतीकों, भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करता है। हमारे सपने मुख्यतः अवचेतन (Subconscious) की गहराइयों से निकलते हैं और वे उन्हीं चीजों को अधिकतर प्रकट करते हैं जो हमारे मन में अनसुलझे सवालों, इच्छाओं या चिंताओं के रूप में मौजूद होती हैं। सपनों में अक्सर वही लोग और घटनाए प्रकट होती हैं जो हमें किसी कारणवश असामान्य, अधूरी या अनसुलझी लगती हैं।
प्रेमी-प्रेमिका, बचपन के दोस्त, पुराने सहकर्मी या दूर के रिश्तेदार सपनों में आ सकते हैं, क्योंकि उनसे जुड़ी कोई याद, भावना या सवाल हमारे अवचेतन में अभी भी हलचल मचा रहे होते हैं। सपने हमारी भावनाओं की सरल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि गहरी मानसिक प्रतिक्रियाओं का परिणाम होते हैं। जिसमें अपूर्णता और संशय से भरी इच्छाओं और संबंधों को एक चलचित्र की भांति देखते हैं
स्वप्न के बारे में एक रोचक तथ्य ये भी है कि कोई व्यक्ति यदि अपने जीवनसाथी से बेहद प्रेम भी करता हो, फिर भी उसे सपनों में न देखे, ये सम्भव है। और कोई दूसरा व्यक्ति जिसे अपने रिश्ते में असंतोष हो, वह बार-बार अपने जीवनसाथी के सपने देख सकता है। चूंकि जीवनसाथी हमारे जीवन का स्थायी और परिचित हिस्सा होता है, तो दिमाग उसे एक स्वाभाविक तत्व मान लेता है, जिसे मस्तिष्क या मन सपनों में विशेष रूप से प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं समझता। यह उसी तरह है जैसे कोई व्यक्ति अपने रोजमर्रा के सामान्य कामों जैसे, भोजन करना या कपड़े पहनना,के बारे में ज्यादा सपने नहीं देखता, क्योंकि वे उसकी दिनचर्या का हिस्सा होते हैं।
जीवनसाथी के साथ हमारा रिश्ता इतना गहरा और स्थायी होता है कि उसका सपना आना सामान्यतः अनिवार्य नहीं होता। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सपनों का हमारे भावनात्मक या दांपत्य जीवन की गुणवत्ता से सीधा सम्बंध नहीं है। क्या इसलिए क्योंकि वे हमारी चेतन स्मृति (Conscious memory) में दैन-दिन का हिस्सा होने के कारण अपनी नवीनता,अपना आकर्षण खो चुके होते है या फिर इसके कोई और कारण हो सकते है ? अतः यह निष्कर्ष निकालना कि जीवनसाथी का सपना न देखना आकर्षण के कम होने का संकेत है ये सही नहीं है। यह अधिक संभव है कि हमारा मस्तिष्क उसे पहले से स्वीकृत और सुलझे हुए हिस्से के रूप में मान लेता है, जिसे बार-बार दोहराने की आवश्यकता नहीं होती।
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