आखिर में सब ठीक होगा
आखिर में सब ठीक होगा :
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"आख़िर में सब ठीक होगा। ये विश्वास करना होगा। अगर कुछ ठीक नहीं लग रहा या हो रहा तो ये समझना होगा कि ये अंत नहीं।"
ये पंक्तियां प्रेरणादायक तो है पर इसके लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी चीज है वह है धैर्य और सहजता। क्योंकि जब परिस्थियां पक्ष में नहीं होती सबसे पहले हम अपना धैर्य खोते हैं। जिससे होता ये है कि अगर प्रयास सही दिशा में जा भी रहे होते हैं तो वह भटक जाता है। हम इकच्छित परिणाम तक नहीं पहुंच पाते।
गीता में भी श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही संदेश दिया कि कर्म करना हमारी नियति है। और उसका फल ईश्वर और भाग्य के पास। इसलिए जो हमारे हाथ में ही नहीं...उसकी चिंता में अपने कर्म से विमुख हो जाना अनुचित है। क्योंकि कर्म से ही हमारे जीवन को गति मिलती है।
अंत सुखदायी होना अर्थात कुछ अच्छा ही होगा। हो सकता है कि वह हमारे नजरिये से अच्छा नहीं हो पर ईश्वर की तरफ से वह सदैव हितकारी ही होता है।
वो कहते हैं ना कि मन की होए तो उत्तम पर ना होए तो सर्वोत्तम... क्योंकि तब वह ईश्वर के मन की होती है। इसलिए कर्म में धैर्य के साथ परिणाम की प्रतीक्षा करनी चाहिए। और ये भी तो कहते हैं कि धैर्य का फल मीठा होता है।अब साथ ही ये स्मरण भी रखना होगा कि फल पकने पर ही मीठा होता है। कच्चा फल कड़वा या खट्टा हो सकता है। अतः जब कर्म पक कर परिपक्व होएंगे तभी इकच्छित फल मिलेगा। यही शाश्वत सत्य है।
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