सुरंग का भूगोल
सुरंग का भूगोल -------------------
वह एक अंधेरी सुरंग थी
और हम जा रहे थे उस पार
हमें बता दिया गया था कि
सुरंग के पार एक सुंदर घाटी है
जहां सुख का सूरज उगता है...
एक भयंकर अंधेरी सुरंग से
हम इक उम्मीद से जा रहे थे
सुख के सानिध्य की चाह में
जीवन को सुखी करने....
हालांकि सुरंग के उस भयावह अंधेरे में
हम एक अज्ञात भय से डरे हुए थे
जैसे बलि से पहले वध स्थल
जाते हुए डरता है मेमना...
यह डर हमारा भ्रम था
या हम सचमुच डरे हुए थे
साफ-साफ कुछ नहीं कह सकते
मगर इस यात्रा में सपने हमारा संबल थे
उन सपनों को पूरा करने की चाह में
हम जा रहे थे..बस चले जा रहे थे
बुजुर्गों का कहना था कि
हमारे पुरखे भी गुजरे हैं
ऐसी ही कई सुरंगों से
अपने सपनों की तलाश में।
एक के बाद दूसरी सुरंग
अंतहीन सिलसिला है यह सुरंगों का
हर सुरंग के मुहाने में दिखती है रौशनी
फिर धीरे-धीरे बढ़ता जाता है अंधकार
सुरंग में भी और हमारे मन में भी।
सदियों से ऐसे ही चलते जा रहे हैं हम
पीढ़ी दर पीढ़ी कई भयावह अंधेरी सुरंगें
पार की हैं हमने सुंदर घाटी की तलाश में
सुरंग के अंधेरे के खौफ का
अपना अलग चेहरा होता है
प्रकाश के खौफ से अलहदा
अंधेरे का खौफनाक चेहरा।
इस अंधेरे में मौत का भय नहीं है
थकान के बीच चलते रहने की जिद्द है
इस खौफनाक मंजर में भूख कम,
और प्यास ज्यादा लगती है
हमें बताया गया है
सुरंग के पार मीठे पानी के चश्में हैं
इन्ही चश्मों की तलाश में
सदियों से चले जा रहे है हम
अपनी इस लम्बी यात्रा में
हम सुरंगों के भूगोल के ज्ञानी होते जा रहे हैं
घूप्प अंधेरे में टटोलते हैं
अपने-अपने हाथ-पांव
साथ चलते हमराहियों को देते हैं दिलासा
धीरज धरो - धीरज धरो
और धीरे-धीरे चलते रहो
वह देखो हम पहुँच रहे हैं
सुरंग के मुहाने पर,
खत्म होने जा रहा है
सुरंग का भयावह अंधेरा
Comments
Post a Comment