आचरण की महत्ता

आचरण की महत्ता :           ~~~~~~~~~~~~~~

हम समाज में रहते हैं और आस पास बहुतेरे लोगों से घिरे रहते हैं। जिन्हें हम जानते भी नहीं...यदा कदा किसी खास राह पर उनसे आमना सामना हो जाता है। लेकिन जो परखने वाली बात है वह ये कि अचानक मिलने पर भी आपसी प्रतिक्रियाएं कैसी होती हैं ? क्या अनजान की तरह एक दूसरे को देखे बिना निकल जाते हैं या हल्की सी मुस्कुराहट से एक दूसरे को पहचाने जाने की स्वीकृति देतें हैं । शायद इस से ज्यादा किया गया तो वह परिचय से ऊपर का सम्बंध बन जाता है। शायद यही सोच कर अक्सर हम प्रतिक्रिया को सीमित रखते हैं। 

एक घटना से इस व्यवहार का आंकलन करते हैं। हम ऑफिस के कैंपस में ही रहते हैं। एग्रीकल्चर से जुड़ा होने के कारण हमारे ऑफिस और रेजिडेंशियल कैंपस में अत्यधिक हरियाली है। ख़ूब हरा भरा और सुंदर स्वच्छ वातावरण है। हम रोज़ सुबह 5 बजे 1 घण्टे की वॉक के लिए निकलते हैं। हमारे कैंपस में शहर के बाहरी लोग भी ताज़ी हवा और प्राकृतिक शुद्ध वातावरण के चलते भ्रमण के लिए आते हैं। तो हमारा उनसे आमना सामना होता ही रहता है।

            कुछ पुरुषों का एक समूह रोज़ ही आते या जाते हम से मिलता है। उसमें से एक प्रौढ़ व्यक्ति निहायत ही सभ्य और शालीन हैं जो गुजरते हुए आगे बढ़ कर चरण स्पर्श करते हैं और राधे कृष्ण या सियाराम बोल कर अभिवादन करते हैं। अब इस बात में जो गौर करने वाली बात है वह ये की वह व्यक्ति हमें बिल्कुल नहीं जानते। तो अवश्य ही यह संस्कार उनके स्वभाव में होंगे। और अगर ये उनके स्वभाव में ही है। तो इस क्रिया से वह कितना स्नेह और आशीर्वाद बटोरते होंगे। क्योंकि स्वभाववश वह सभी के साथ इस तरह का आचरण करते होंगे। जब कोई आगे से बढ़ कर आपको सम्मान दे रहा हो तो आशीर्वचन स्वतः ही मुख और आत्मा से निकलने लगता है। यह एक ऐसा संस्कार है जिसके जरिये वह अपने दिन की शुरुआत दुआओं और प्रार्थनाओं से करते हैं। 

और साथ ही उसका दूसरा पहलू भी गौर करने लायक है कि वॉक पर चलते हुए झुक कर सबका चरण स्पर्श एक व्यायाम भी हो जाता है। अर्थात एक पंथ दो काज। साथ ही अन्य के मुख और आत्मा से निकली दुआओं से उनका पूरा दिन शुभमय हो जाता होगा। 

हम अपने आचरण और संस्कारों के जरिये ही पहचाने जाते हैं। अनजान होते हुए भी अपनी भलमनसाहत की छवि सबके मनों पर छोड़ना अपने संस्कारों द्वारा किया गया कोई  कार्य हो सकता है। अपनी पहचान हम खुद ही बनाते हैं। कोई दूसरा तो बस उस पहचान के जरिये हमारा अच्छा या बुरा होने का आंकलन कर सकता है। हालांकि किसी दूसरे का हमारे व्यक्तित्व के आंकलन का कोई मूल्य नहीं पर सामाजिक प्राणी होने के नाते सामान्यतः हम वह काम नहीं करते जिससे छवि खराब हो और वह काम करना चाहते हैं जिससे हमारा नाम हो। 

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