हम भी ख़ास हैं
हम भी ख़ास हैं : •••••••••••••••••
कहने को तो साथ हैं फ़िर भी नहीं पाते हैं
तेरा साथ वो ख़्वाब है जिसको जी नहीं पाते हैं
तन्हाई में तुझे महसूस करके अपना बनाते हैं
भीड़ में विचारों के भंवर में फ़िर से अकेले हो जाते हैं
साहेब थोड़ा तो हम भी हुनर रखते हैं भले तुमसे कम हो पर काबिल तो दिखते हैं।
तुमको तुम से पूरी तरह चुरा ना पाए हो फ़िर भी। पर तुम हमें सोचते रहो ऐसे मौकों की फेहरिस्त गढ़ते है
माना तुम्हारा दिल कीमती है। लेकिन देखो हम भी अपनी कोशिशों में जान भरते हैं
दिल को बेशकीमती बनाने। के हर प्रयास में खरे उतरते हैं
कौन कहता है कि तुम ही ख़ास हो और हम आम से
बाज़ार अगर खरीद लिया तुमने। तो क्या क़ीमत का दंभ भरते हो।
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