कुम्भ मेला और अखाड़ा

 कुम्भ मेला और अखाड़ा :      *******************

आजकल भारत में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा। जिसमें पूरे देश से तमाम श्रद्धालु पवित्र संगम पर स्नान करके खुद को पावन महसूस करते हैं। कुम्भ मेले का इतिहास कुछ पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। जिसमें ये वर्णित है कि देवताओं और असुरों के युद्ध के समय समुद्र मंथन में निकले अमृत की बूंदें कुछ जगहों पर छिटक गई। तो उन जगहों को पावन माना गया। और पुरातन काल से वही कुम्भ का आयोजन हो रहा है। वो जगह हैं नासिक, उज्जैन, हरिद्वार और प्रयागराज, जो कुछ समय पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। कुम्भ मेला धर्म सभा और शाही स्नान के महत्त्व के लिए जाना जाता है। 

कुम्भ का आयोजन हर 12 वर्ष बाद होता है। कुम्भ मेले का इतिहास 850 साल पुराना है जिसे आदि शंकराचार्य ने शुरू किया था। शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी का एक वर्ष देवताओं के लिये एक दिन होता है इसीलिए हर 12 वर्ष बाद कुम्भ का आयोजन होता है। भारत में सर्व प्रथम कुम्भ मेला 1954 में प्रयागराज में लगा। तब से ही निरंतर इसका आयोजन किया जा रहा है। 

कुम्भ में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं अखाड़े... ये अखाड़े साधु संतों के समूह होते हैं। जो अलग अलग मत और सम्प्रदाय में विश्वास रखने वाले होते हैं। कुम्भ का आयोजन ही इसलिए किया जाता था कि ये सभी धर्मिक समूह एक स्थान पर एकत्र होकर आपस में मिल जुल सकें। नई चर्चाएं होयें और धर्म से जुड़ी नई प्रगतिशील धारणाएं बनाई जा सकें। इन अखाड़ों से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें  निम्न हैं कि....

★ इन अखाड़ों में नागा साधु भी होते हैं जो वस्त्रहीन होकर जीवन बिताते हैं।

★ इन अखाड़ों में साधु सन्यासियों को शस्त्र विद्या भी सिखाई जाती है।

★ अखाड़ों के लिए अध्यक्ष का चुनाव सबकी सहमति और मतदनसे होता गया। न कि उम्र और परिचय से।

★ अध्यक्ष का कार्यकाल  सामान्यतः 3 से 6 वर्ष तक का होता है। 

★ अखाड़ों के मुख्य उद्द्येश्य धर्म की रक्षा करना ,समाज में नैतिक मूल्यों को बनाये रखना, और लोगों को धर्म से जोड़ कर अध्यात्म के प्रति सजग बनाना है।

★ अखाड़ों के साधु सन्यासी धार्मिक ज्ञान योग और ध्यान से खुद को सजग रखते हैं।

★ अखाड़े के साधु सन्यासी आमजन के समक्ष संयमित जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

भारत में प्रमुख 13 अखाड़े है। जिन्हें चार भागों में बांटा गया है। शैव अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, उदासीन अखाड़ा और निर्मल अखाड़ा । इन श्रेणियों में आने वाले प्रमुख अखाड़े ये हैं। जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा ,महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, निर्वाणी अखाड़ा, दिगंबर अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा, किन्नर अखाड़ा आदि। ये सभी त्यागमयी जीवन जीकर लोगों के समक्ष धर्म और संस्कृति के अनरूप जीने का उदाहरण दिखाते हैं। हिन्दू धर्म बहुत वृहद व विशाल मान्यताओं से भरपूर है। 

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