"नहीं मतलब नहीं"

 "नहीं मतलब नहीं".....!!         ~~~~~~~~~~~~~~~~


2016 में एक फिल्म आई थी "पिंक"। जहां एक स्त्री के 'नहीं' शब्द को इस ताक़त के साथ बताया गया था कि अगर वह नहीं कह रही है तो इसका अर्थ है वह नहीं चाहती। ये बात उस फिल्म में शारिरिक सम्बंध को लेकर कही गयी थी। उसका ये "नहीं" कहना कानून की हर किताब से ऊपर दिखाई दिया जहां एक स्त्री के सम्मान के साथ उसकी इच्छा का महत्व का भी प्रश्न जुड़ा है।

"नहीं" या "असहमति" का अर्थ मानवीय सीमांकन से बड़ा है। इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। ऐसे में मानवीय सम्बंध बनाने का सीधा मतलब बलात्कार भी हो सकता है। सामान्यतः बलात्कार को दो अजनबियों के बीच होने वाले force relation के तौर पर देखा जाता है। लेकिन ये "नहीं"वाला न्याय..... पति पत्नी के बीच , दो प्रेमियों के बीच या live-in में रहने वाले दो couples के बीच भी तो देखा जाना चाहिए। क्या उसमें दोनों की सहर्ष रजामंदी जरूरी नहीं....।

आज हम इस दौर में हैं जहां न्याय तंत्र बड़ी बारीकी से संबंधों को समझ सकता है, उनकी बेहतरी के लिए कानून बना सकता है. ऐसे में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का यह फैसला चुभता है या यूँ कहे कि असामान्य, असंतुलित अधूरा लगता है। उस फैसले में कहा गया कि यदि पत्नी की उम्र 15 वर्ष से अधिक हो और पति शारिरिक संबंध बना रहा हो तो उसमें पत्नी की सहमति आवश्यक नहीं। ये अप्राकृतिक सम्बंध नहीं माना जायेगा। पति इसके लिए दोषी नहीं हो सकता। 

जबर्दस्ती तो जबर्दस्ती ही है फिर चाहे कोई नाबालिग हो या बालिग, क्या फर्क पड़ता है। और यदि पत्नी मना कर रही हो या उसकी इच्छा ना हो तो ऐसे में ये सम्बंध प्राकृतिक कैसे हो सकता है ? ? किसी स्त्री की "नहीं" को यदि गंभीरता से नहीं लिया जा रहा तो यह क़ानूनन भी अपराध की ही श्रेणी में आना चाहिए। अपनी अस्मिता, सम्मान और इच्छा के साथ रहना हर स्त्री का हक़ है। चाहे साथ में कोई भी हो। 

छत्तीसगढ़ की इस घटना में कम उम्र के चलते बार बार जबर्दस्ती की पीड़ा और ट्रॉमा के चलते उस लड़की की मृत्यु हो जाती है। ऊपर से बड़ा घाव यह है कि इस तरह की दलील देकर पति को इस केस से बिना आरोप बरी कर दिया जाता है।

ऐसा कानून एक स्त्री के अधिकारों की रक्षा बिल्कुल नहीं कर सकता बल्कि ऐसे अप्राकृतिक कृत्यों को बढ़ावा देना है। कानून का काम अधिकारों को संरक्षित करना है। अफ़सोस है कि ऐसे केस स्त्रियों का दमन करते चले आ रहे हैं और हर अदालत कटघरे में खड़ी है...!!

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