धैर्य दृढ़ता और विश्वास
धैर्य, दृढ़ता और विश्वास : •••••••••••••••••••••••••
दोनों ही आम एक ही डाली पर लगे हुए हैं एक ही पेड़ की वह डाली है। दोनों तकरीबन एक ही उम्र के समान बड़े दिख रहे। पर एक पूरी तरह पक चुका है एक बिल्कुल कच्चा...
ये प्रकृति की एक सीख है। जब जिसका उचित समय होगा तब ही उसके जीवन में बदलाव आएगा। यहां भी शायद एक कि परिपक्वता का समय अभी नहीं आया। जबकि दूसरा पक कर तैयार है।
अमूमन हम जब दूसरों को सफल होता देखते हैं तो खुद को असफल या दोषी मानने लगते हैं। पर ऐसा नहीं है क्योंकि शायद उनका समय पहले आ गया हमारा थोड़ी बाद में आएगा। ऐसे समय में हमारा धैर्य लचीलापन और शांति ही चंद कदम की दूरी पर हमारे विकास से हमें मिलवाती है। हताश परेशान होकर हम राह भटक जाते हैं।
अगर ये आम भी ख़ुद को लहराने लगे ऐंठने लगे तो टूट कर जमीन पर गिर जाएगा। और तब इसके पकने के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे। इसलिए धैर्य दृढ़ता और विश्वास... से इंतज़ार ज़रूर सकारात्मक बनता है।
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