पढ़ने की आदत : किताब या स्क्रीन
पढ़ने की आदत : किताब या स्क्रीन......? •••••••••••••••••••••••••••••••••
आज के डिजिटल युग में किताबों की परिभाषा बदल गई है। "फेसबुक" भी एक पुस्तक ही है—बस पन्ने डिजिटल हो गए हैं और सामग्री क्षणिक और छद्म । आप क्या पढ़ते हैं, यह आपकी बौद्धिक खुराक निर्धारित करता है , चाहे वह कोई जानकारीपूर्ण विषयवस्तु हो , मनोरंजक मसाला हो, उत्तेजित करने वाले अवयव हों या धर्मिक ज्ञान या धर्मशास्त्र से जुड़ी बातें हो। यह स्वयं की रुचि और चुनाव पर भी निर्भर है।
पर मुख्य सवाल यह नहीं कि माध्यम क्या है, बल्कि यह कि आपके पढ़ने का उद्देश्य क्या है। क्या आप अपने ज्ञान की आत्मसंतुष्टि के लिए पढ़ रहे , या सिर्फ मनोरंजन की चाह हैं, या फ़िर खाली समय है उसे उपयोग में लाने के लिए कुछ पढ़ना है, या फिर किसी समस्या से जूझते हुए खुद को व्यस्त रखकर किसी गहरे विचार में डुबो देना चाहते हैं ? ?
किताबें स्थायित्व देती हैं। जिसे पढ़कर भी हम जल्दी नहीं भूलते। भले ही उसमें पात्रों की छवि शब्दों में ढाल कर व्यक्त की जाती हो। पर उनका प्रभाव दीर्घकालिक होता है।
एक छोटे से किस्से से इसे प्रमाणित करना चाहूंगी। मैं उत्तराखंड की एक लेखिका शिवानी की कहानियां बहुत पढ़ती हूँ। उनकी किताबों में हर नायिका अप्रतिम सुंदरी होती है। जिसके रूप की प्रशंसा के लिए शब्द भी कम पड़ते है। जब कोई नायक उस सुंदरी के संपर्क में आता है तो जो प्रतिक्रियाएं होती है। उनका वर्णन पता नहीं क्यों अपने सामने होता महसूस होता। जैसे नायिका के बगल में खड़े नायक को स्पर्श करता नायिका का पल्लू उसे उसके साथ कि सुखद अनभूति दे रहा। जब आप वह किताब पढ़ रहे होते है तो लगता है कि उसे हम होता हुआ महसूस कर रहे। ये अच्छी किताबों का प्रभाव है।
जबकि इससे उलट सोशल मीडिया तात्कालिक मनोरंजन देता है। जिसे याद रखना इसलिए मुश्किल है क्योंकि अगले ही क्षण कोई विभिन्न सामग्री से जुड़ा कुछ आपके सामने है। निरंतर जो हम चुनते हैं, वही हमारी सोच का निर्माण करता है। पर सब्स बड़ी बात ये भी की ये सोच भी स्थाई नहीं होती। कल कुछ और अच्छा देखने को मिलेगा तो पहली सोच छोड़ कर हम नई सोच अपना लेंगे।
इसलिए किताबें चुनिए और पढ़िए—वो भी, सोच-समझकर। क्योंकि उसमें लिखे शब्द और सामग्री केवल जानकारी नहीं देते, वे आपका दृष्टिकोण और जीवन का मार्ग भी तय करते हैं। जो पढ़ना चाहते हैं उसे स्वयं चुने पर इस आधार पर की वह आपकी मानसिकता में किस तरह का प्रभाव उत्पन्न कर रहे।
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