यूँ तो समझदार हूँ मैं
यूँ तो समझदार हूँ मैं : •••••••••••••••••••••
यूँ तो समझदार हूँ मैं कि दूसरों की सब यूं ही समझ जाती हूँ पर जब बात खुद पर आती है तो भूलभुलैया सी इधर उधर भटक जाती हूँ कुछ गलतियां अनजाने में बेवजह ही पता नहीं क्यों कर जाती हूँ अब कोई गलती नहीं करूंगी ना जाने कितनी बार ये कसम खाती हूँ भरोसा हर बार खुद पर करके अपने लिए एक नई सी राह बनाती हूँ फ़िर भी ना जाने क्यों मैं उसी पर आगे बढ़ने से डर जाती हूँ अक्सर यूँ चुप्पी ओढ़ कर मन ही मन घुट कर रह जाती हूँ दुनियादारी सीख नहीं पाई इसलिए मन की कह नहीं पाती हूँ
~ जया सिंह ~
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