AI parents बनने की मजबूरी
AI parents बनने की मजबूरी :
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आजकल AI का जमाना है। कुछ भी query हो। ai से पूछो जवाब हाजिर। सभी पूरी तरह ai पर dependend हो गए हैं। इस ai ने जिंदगी जितनी आसान की है। साथ ही मुश्किल भी बना दी है। अब आज की नई पीढ़ी यही सोचेगी की आखिर ai क्या मुश्किलें बढ़ा रहा....वो तो हर जगह मदद करने को तैयार खड़ा रहता है। बस यही सबसे बड़ी मुश्किल है ।
इसे विस्तार से समझते हैं। पहले हम लोगों के बचपने के समय में हमें कुछ भी जानकारी चाहिए होती थी तो हम दौड़ कर अपने parents के पास जाते थे। पता था कि उनका अनुभव हमारी मदद करेगा। पूरी तरह तो नहीं फिर भी 70 से 80 प्रतिशत तो हमारी समस्या सुलझा ही देगा। आज ai ने बच्चों और अभिभावकों के बीच दूरी की एक गहरी खाई खोद दी हैं।
या तो हम ai parents बन जाएं वरना बच्चे हमें अज्ञानी या अविकसित समझकर कभी कुछ नहीं पूछेंगे। अब समस्या ये है कि आज 50 और 60 के बीच के लोग जो अपनी पिछली पीढ़ी से भी connected हैं। वो पूरी तरह ai कैसे बन सकते हैं। क्योंकि पिछली पीढ़ी को उनके ही तरीके से handle करना होता है और उसमें हमारी सोच ऊर्जा और तरीका सब शामिल होता है।
जबकि आज की नवयुवा पीढ़ी बहुत तेजी से आगे भाग रही। उन्हें हर जानकारी चुटकी में चाहिए। हालांकि ऐसा नहीं कि वो जो जानकारियां मांगते हैं उनके बारे में हमें बिल्कुल पता ना हो ये नहीं हैं पर शायद उनके पास इतना समय नहीं कि वो हमारे पास आकर बैठे और हम उन्हें बताकर वो जानकारी दें जिसमें थोड़ा समय भी लग सकता है। ai तो to the point बस वही बता देता है । हम बताते समय उसमें अपने अनुभवों को भी जोड़ लेंगे।
ये ai बच्चों अभिभावकों के बीच बहुत बड़ी दूरी पैदा कर रहा है। और ये दूरी बच्चों को तो असर नहीं कर रही पर अभिभावक इससे बहुत तकलीफ पा रहे। जो सुख बच्चों के साथ का मिलता था वो अब खो गया है। कुछ पूछना, कुछ बताना, कुछ समझाना, कुछ समझना, कुछ कहना , कुछ सुनना सब खत्म सा हो गया है। हम ai पेरेंट्स नहीं बन सकते। थोड़ा बहुत तो सही पर शायद पूरी तरह कभी नहीं। और ये बात रिश्तों पर हमेशा भारी रहेगी।
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