धोखे से ज्यादा यकीं चुभता है

धोखे से ज़्यादा यकीं चुभता है : 

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कभी गहराई से सोचोगे तो पाओगे

धोखे से ज़्यादा यकीं चुभता है

जो अर्थ ही नहीं समझता उस पर 

शब्दों का ज्ञाता होना नहीं फबता है

दूसरों की फ़िक्र करते करते हम

अपना हालचाल पूछना ही भूल गये

जो ज़ख्म दिखते नहीं, उनका

शिकंजा बेहद बुरी तरह से कसता है

बस कोशिश इतनी की हमनें

हमारी वजह से कोई परेशान ना हो

सबको मनाते हुए ये देखा नहीं

हमारा दिल खुद से ही अनबन रखता है

किसी का मन व मौन समझने का 

हुनर,  हरेक के बस की बात ही नहीं है

जितनी दूर से देखोगे किसी को 

तो वो उतना ही अच्छा दिखता है....!!

        ~ जया सिंह ~

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