ना हालात बदले, ना हाल बदला
ना हालात बदले, ना हाल बदला :
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ना ही हालात बदले, ना हाल बदला
बस तारीख बदली है और साल बदला
सबकी जिंदगी में विकल्प बन कर रहे
शिकारी सभी वहीं है बस जाल बदला
काँटें मिले,चुभे,लहूलुहान हुए हम, पर
उन्हीं कांटों से पनाह की ख़्वाहिश रखी
जवाबी झांसा देते रहे हमें सभी लेकिन
तिरस्कार क्यों..हर बार ये सवाल बदला
बाहर की तमाम ठोकरों से तो बच गए
पर अपने पांव की मोच चलने नहीं देती
कल मेरी रफ़्तार मिसालें हुआ करती थी
आज ख़ामोशी के चर्चों का इकबाल बदला
नहीं जान पाए फासले जरूरी है, चिराग
जलाते वक्त...हाथ जला तो तजुर्बा मिला
सबको उजाले देने के उत्साह में अँधेरा
चुनकर हमने रोशनी को तत्काल बदला
~ जया सिंह ~
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