मायने खो देते है वो जनाब

मायने खो देते है वो जनाब :

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मायने खो देते हैं वो सभी जनाब 

जो वक्त पर नहीं मिला करते

"है" को स्वीकारना होगा क्योंकि

"थे" कभी आज में नहीं रहते

जरूरी और ज़रूरत होने का फ़र्क़

अब अच्छे से समझ आया 

जब से सहना सीख लिया हमने

तब से हम कुछ नहीं कहते

आज तकलीफ़ ये नहीं कि किस

कदर इस्तेमाल हुए हैं हम

बस ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते है

उनका दर्द चुप्पी से हैं सहते

तकलीफ़ समझ ले कोई हमारी तो

मुस्कान पर भी तरस खायेगा

जिनकी हंसी खूबसूरत होती हैं उनके

अंदर दर्द के ज्वार भाटे हैं बहते

       ~ जया सिंह ~

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