उसके दृष्टिकोण से ही उसे समझे

 उसके दृष्टिकोण से ही उसे समझें : 

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अगर कोई हमारा अपना घबराहट में हो , परेशान हो। हमें लग रहा है कि उसे हमारी मदद की जरूरत है। तो ऐसे में सबसे जरूरी चीज हमारी मौजूदगी है। जब कोई करीबी घबराहट से जूझ रहा हो तो उसे सलाह नहीं चाहिए। बस कोई ऐसा साथ चाहिए जो भावनाओं को समझ सके। अगर हम उसे उसकी परेशानी से बचाने के लिए उसकी समस्या को कमतर आंक रहे या उसे नजरअंदाज करने की सलाह दे रहे तो ये ठीक नहीं हैं। ऐसे में हमें शांत रहकर सहानुभूति से काम लेना चाहिए। उसे अपने दृष्टिकोण से जज नहीं करना चाहिए। क्योंकि अलग अलग मानसिकता की वजहँ से स्थिति की गंभीरता भी भिन्न होती है। इस स्थिति को संभालने के ये कुछ मुख्य बातों को बिंदुवार समझना होगा। 

1. सब ठीक हो जाएगा : ये एक तरह की झूठी तस्सली की तरह होता है। जबकि परेशान व्यक्ति ये जनता है कि बिना कुछ प्रयास किये स्थितियां नहीं सुधरने वाली। कभी कभी चिंतित व्यक्ति की आशंका सत्य भी हो जाती है। तब ये कहा और झूठ साबित होता है। 

🔶 इसलिए ये कहना उचित होता है कि कोई बात नहीं कि अभी परिस्थिति खराब चल रही ये सच है पर समय कभी एक सा नहीं रहता। धैर्य से स्थिति से सामना करना होगा।

2. हमेशा सकारात्मक सोचो :  जब इंसान बहुत ही मुश्किल वक्त से गुज़र रहा होता है। तब उससे ये उम्मीद करना कि वो अच्छा ही अच्छा सोचेगा। उसकी परिस्थिति ही ऐसी है कि उसका दुःख उसे कुछ सही हो रहा है ये सोचने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। 

🔶  ऐसे में बस ये कहना उचित है होगा कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।जो भी स्थिति परिस्थिति है। उससे बाहर ज़रूर निकलोगे। ऐसे कठिन वक्त में उसकी भावनाएं सामान्य हैं।

3. तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होना चाहिए : ये कहना दुःखी व्यक्ति को और तोड़ देता है वो अपने भाग्य को कोसने लगता है। कि मैं ही क्यों। मेरे साथ ही ये सब क्यों हुआ। वो अपने को कमतर समझने लगता है।

🔶 ऐसे में उसे ये कहकर सांत्वना देनी चाहिए कि मुश्किलें हर व्यक्ति के जीवन में आती है। जब जीवन मिला है तो अच्छा बुरा वक्त तो आएगा ही। बस उसका सामना हिम्मत और किसी के साथ से सम्भव बनाना चाहिए। 

4. शांत रहो : ये कहना सबसे खराब प्रतिक्रिया होती है। क्योंकि जब मन व्यथित होता है तब शांत रहने की हर कोशिश बेकार हो जाती है।उस समय मन की भड़ास निकालने के लिए चीखना चिल्लाना रोना जरूरी सा हो जाता है। शांत रहो कहना उसकी स्थिति को कमतर आंकने जैसा है।

🔶 उस समय की श्रेष्ठ प्रतिक्रिया यही होगी कि तुम डरे हुए हो और मैं तुम्हारे साथ बैठा हूँ। इसलिए खुद को अकेला मत समझो। जब भी डगमगाओगे मैं सम्भाल लूंगा। 

5. कुछ ज्यादा ही रियेक्ट कर रहे हो : किसी की परेशानी में ये कहना कि तुम ज्यादा परेशान हो या ज्यादा प्रतिक्रिया दे रहे हो। ये उसे और चोटिल करता है। ऐसे में दुःखी व्यक्ति खुद को बोझ महसूस करने लगता है। और अपने दुख को दबाने की कोशिश करता है।

🔶 ऐसी स्थिति में ये कहना चाहिए कि तुम्हारी प्रतिक्रिया बिल्कुल जायज है। कोई भी होता तो यही प्रतिक्रिया देता। पर प्रतिक्रिया देने के पश्चात सम्भलना भी जरूरी है। ये मैं तुमसे अपेक्षा कर सकता हूँ।

6.बार बार क्यों परेशान हो जाते हो :  कुछ लोग ज्यादा सेंसिटिव होते हैं । जो जल्दी परिस्थितियों से घबरा जाते हैं उन्हें बस थोड़े से सहारे की जरूरत होती है अगर कोई साथ खड़ा दिखे तो वह जल्दी सामान्य भी हो जाते हैं पर उनको ये कहना कि तुम तो जरा जरा सी बात पर जल्दी जल्दी परेशान होते रहते हो। ये उनको छोटा गलत और कमतर आंकना होता है। हर किसी की आदत, मानसिक स्थिति और व्यवहार एक जैसा नहीं होता। 

🔶 ऐसे में सबसे अच्छा ये होता है कि साथ खड़े होकर जीवन की सच्चाई समझाई जाए। कि यही जीवन है उतार चढ़ाव आते रहेंगे पर तुम अकेले नहीं हो इससे जूझने के लिए।उसके ऊपर व्यक्तिगत कटाक्ष करने से बेहतर होगा कि वक्त और जिंदगी को जिम्मेदार मानें।

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