अजीब बात है ना ये

अजीब बात है ना ये : 

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अजीब बात है ना ये कि

मौजूदगी की किसी को कदर नहीं

बाद में तस्वीर संग रोकर

क्या दिखाना उनके बिना बसर नहीं

जब तक सामने थे तब तक

कभी भी एकमत हो कर नहीं जिये

उनकी अनुपस्थिति का दुःख

मना रहे जिसकी उन्हें ही ख़बर नहीं

जीते जी हर बार सोचा कि कोई

तो मिले जो ईमानदारी से रिश्ता निभाए

हर बार बेसहारा होकर आगे बढ़े

वही रस्ते चुने कोई अपना सा जिधर नहीं

सबकी जिंदगी में शाम के बाद

उजली सुबहें ज़रूर आती है रोशनी ले कर

पर वो जो सांझ की राह देख रहे

उनकी क़िस्मत में ढलती दुपहर मगर नहीं

        ~ जया सिंह ~

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