ए ज़िन्दगी, गुज़ारिश है तुझसे
ए ज़िन्दगी गुज़ारिश है तुझसे :
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कहर ढाकर हम पर, हमें आजमाना
तनिक हंसने लगे तो आकर रुलाना
"ए ज़िन्दगी" ये गुजारिश है तुमसे कि
बहुत हो गया अब बस कर सिखाना
आख़िर कब तक हम यूँ ही तुझ से
रहनुमाई की उम्मीद लगाकर जिएंगे
अब आगे और क्या दिखाने वाली है
ये टूटने से पहले ही मुझ को बताना
ताकि संभलने की तैयारी करके रखें
थोड़ा अपने आप को मजबूती से परखें
अकस्मात जो जमीं दलदली करती है तू
मुश्किल हो जाता है उसमें पैर जमाना
हर बार ही समतल की चाह बेकार है
जिंदगी है..तो ऊंच नीच की भरमार है
ये सच जानते और समझते हैं हम पर
तू ज़रा प्यार से सहला कर बताना !
~ जया सिंह ~
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