जा तो रहे हो पर

 जा तो रहे हो पर : 

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जा तो रहे हो पर 

अगर लौट कर आना हो तो थोड़ी 

उम्मीद बाकी छोड़ जाना

अपने हाथों की गर्माहट मेरे हाथों में

अपनी खुशबू मेरे तन में

और रास्तों को वापस से हमारी ओर

आने के लिए मोड़ जाना

हर दस्तक में गूंजती रहे तुम्हारी आहट

दरवाजे खुले रहे इंतजार में

अपनी वृस्तृत दुनिया का वृहद विस्तार

थोड़ा मेरे लिए सिकोड़ जाना

घर की चौखट को मालूम हो तुम्हारा ठौर

खिड़कियां हवा से तेरी बात करें

तुम्हारे होने के एहसास से परदों की हलचल

को थोड़ा और झिंझोड़ जाना

जा तो रहे हो पर अगर वापस लौटकर 

आना हो तो थोड़ी

उम्मीद सबके लिए बाकी छोड़ जाना...!

    ~ जया सिंह ~

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