कथन कहने के बाद का दृश्य भी देखें

 कथन कहने के बाद का दृश्य भी देखें : 

••••••••••••••••••••••••••••••••••••••

कथन किस तरह कहीं गई बातों का अर्थ बदल देते हैं ये कई बार आपने कहते हुए महसूस ही नहीं किया होगा। उसको कह देने के बाद सुनने वाले पर क्या असर हो रहा है ये भी महसूस किया जाना जरूरी है। क्या कह दिया उसका क्या प्रभाव होगा ये बाद में समझ आता है। अक्सर न्यूज़ चैनल भी अपने द्वारा कही बातों का impact समझ नहीं पाते। बस वो तो बात कह कर निकल जाते हैं। लेकिन उनके कहे से जो तस्वीर बनती है वह स्थिति के विपरीत या अन्यायपूर्ण होती है। इसे एक छोटे किंतु महत्वपूर्ण उदाहरण से समझते है। 

कुछ युवकों द्वारा एक मासूम का गैंगरेप हुआ : ये एक घटना है। 

अब इसकी पैसिव रिपोर्टिंग देखिए या स्थिति को कैसे प्रस्तुत किया जा रहा कि मुख्य अभियुक्त सामने ही नहीं आ रहे....

1. एक लड़की का गैंगरेप होता है.......!! ❌

2. कुछ लड़के मिलकर लड़की का गैंगरेप करते है......✅

1. रेप के बाद उसे फेंक दिया जाता है.....❌

2. रेप के बाद लड़के उस लड़की को फेंक देते हैं....✅

इन दोनों कथनों के विजुलाइजेशन पर ध्यान केंद्रित किया जाए। पहले नंबर वाले कथन में प्रखरता से एक घायल, अस्तव्यस्त सी बदहाल लड़की की इमेज create होएगी। जबकि culprit की इमेज अगर दिखेगी भी तो बहुत धुंधली सी।  जबकि दूसरे वक्तव्य में लड़के उसे घसीटते नोचते दिखेंगे। रेप के बाद लड़की को फ़ेंकतें हुआ लड़के दिखेंगे। और ख़ास बात विक्टिम का चेहरा धुंधला दिखेगा। इस वृस्तृत विवरण के बाद पुनः एक बार वो कथन उसके परिदृश्य को imagineकरते हुए पढ़ें। अंतर स्पष्ट महसूस करेंगे। 

कर्ता को छुपा ले जाने वाली कोई भी बात सिर्फ़ उसी को हाईलाइट करती है जो विक्टिम है या भुक्तभोगी है। सभी के मन में पीड़ित ही दिखाई देगा। जबकि उस पीड़ा को create करने वाला hidden रहता है। 

इसे एक उदाहरण से और समझते हैं.....

नाबालिग लड़की घर से  भाग गई......❌

एक युवक नाबालिग लड़की को लेकर भागा....✅

मानते है मसला दोनों तरफ से होगा। पर उस अपराध का अकेले ठीकरा लड़की के सर क्यों फोड़ना। वो किसी का सहारा पाकर या उकसाने पर ही तो घर से भागी है। उसमें लड़के को क्यों नहीं शामिल किया जा रहा। 

हालांकि ये दोनों उदाहरण मीडिया से जुड़े हैं। पर हमें भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी बोल रहे हैं उसका अर्थ वही निकल रहा है जो वाकई है। और सबसे महत्वपूर्ण बात कि कही जाने के बाद उस बात से दृश्य क्या बन रहा है ये भी सोचना चाहिए। क्योंकि जो चीज़ हम समझाना चाह रहे कहीं उसका चित्र उससे विपरीत तो नहीं।कभी कभी बाद का दृश्य भी स्थिति बिगाड़ने का जिम्मेदार हुआ करता है। 

◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆


Comments