छोटे से परिवर्तन की बड़ी सीख

छोटे से परिवर्तन की बड़ी सीख : 

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ज़िन्दगी जीते हुए हम बहुत सारी स्थितियों से गुजरते हैं और हर स्थिति परिस्थिति एक सीख और सबक के रूप में हमें आगे के लिए रास्ते बताती है। लेकिन उन सभी सीख और सबक को सिर्फ़ स्वयं के लिए ही लागू किया जा सकता है क्योंकि हर किसी की सीख, सबक और अनुभव अलग अलग होते हैं। हममें से प्रत्येक अपने अनुभवों के लिए ख़ुद जिम्मेदार होता है। क्योंकि जो स्थिति परिस्थिति हमारे समक्ष आती है उसे बनाने या लाने के पीछे हमारे जाने अनजाने प्रयत्न शामिल होते हैं। वर्तमान का प्रत्येक विचार हमारा भविष्य बना रहा होता है। ये जानना अति आवश्यक है कि शक्ति का केंद्र हमेशा वर्तमान ही होता है। और वो ही भूत और भविष्य के बीच की धुरी है।

अपनी बिगड़ी परिस्थिति या समस्याओं के लिए वर्तमान के निर्णय जिम्मेदार होते हैं। हालांकि उसके लिए स्वयं को दोषी मानना गलत है। परंतु आत्मद्वेष का विचार मात्र कल्पना है जिसे बदलकर परिणाम भी बदला का सकता है। खुद को कोसते रहने से कुछ भी अच्छा नहीं होता। बल्कि अपने अंदर की ऊर्जा प्रभावित होती है और उसका क्षरण होता है। यही ऊर्जा का क्षरण शरीर में रोगों के उत्पन्न होने का कारण बनने लगता है। 

कुछ विचार जिनका त्याग ही जीवन को संतुष्ट और समृद्ध बना सकता है। क्रोध आलोचना और अपराधबोध सबसे नकारात्मक विचार हैं। जो कि व्यक्तित्व को खोखला करने लगते हैं और आत्मविश्वास खत्म होने लगता है। हमें स्वयं से प्रेम करने की इच्छा बनाए रखना चाहिए। वर्तमान में हम जैसे है उसे स्वीकारा करके हम सब कुछ ठीक होने की ओर आगे बढ़ सकते हैं।

बीती हुई कड़वी यादों को मन में दबाकर रखना अच्छा नहीं होता।  अतीत की हर स्थिति को भुलाकर सबको क्षमा कर देने से हम ही स्वस्थ रह सकते हैं। कुढ़न और जलन तन को खा जाती है। लोग कभी भी हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हो सकते। इसलिए अगर उनकी गलतियों को क्षमा नहीं करेंगे तो हमारा मन उस बोझ को ढोता रहेगा। 

शाश्वत शक्ति या ब्रमांड हमारा मूल्यांकन या आलोचना कभी नहीं करता। हूं जैसे है वो उसे वैसा ही स्वीकारता है। बस ये हमारी duty हैं कि हम उसे वो परिष्कृत रूप दें जिसके लिए वो हमारे वर्तमान को फलीभूत कर दें। वर्तमान ही कुछ समय बाद भविष्य बनेगा और काफी समय बाद भूत हो जाएगा। 

अब महत्वपूर्ण ये है कि हम अपने विचार स्वयं बनाते है और चुनते हैं। इसलिए स्वयं से ये  मूलभूत प्रश्न पूछे जाने चाहिए : 

★ मेरा जीवन कैसा चल रहा  ?

★ मेरा स्वास्थ्य कैसा है ?

★ मैं अपना निर्वाह कैसे कर रहा हूँ ?

★ क्या मुझे मेरा काम पसन्द है ?

★ मेरी आर्थिक स्थिति कैसी है ?

★ मेरा प्रणय जीवन कैसा है ?

★ अपना बचपन याद करके मुझे कैसा महसूस होता है ? 

इन सभी प्रश्नों के लिए एक नोटपैड लेकर जवाब लिखें जाए : 

और ध्यान दें कि उसमें तमाम उत्तरों में यदि चाहिए शब्द आ रहा हो है तो ये गलत है जैसे.......

🔴 मैं ये करना चाहता हूं

🔴 मैं ये करने से डरता हूँ

🔴 मैं उतना अच्छा नहीं हूं

🔴 मैं नहीं जानता कि मैं ये कैसे करूंगा

🔴 मुझे नहीं पता कि लोग मुझे पसन्द करते है या नहीं

वग़ैरह वग़ैरह......

अब इन प्रश्नों के उत्तर में प्रश्नवाचक शब्द "चाहिए या चाहता" की जगह "सकता" लिख कर देखा जाए कि.....

🔶 मैं ये कर सकता हूँ

🔶 मैं जानता हूँ कि मैं इस योग्य हूँ

🔶 मैं जानता हूँ कि मैं बेहतर हूँ

🔶 मैं हर स्थिति का सामना करने में सक्षम हूँ

🔶 मैं कभी भी डरता नहीं हूं

🔶 मेरे रिश्ते बहुत ही सुदृढ और स्वस्थ हैं

🔶 मेरा मन सदैव शांत और स्थिर रहता है

🔶 मेरा शरीर रोगमुक्त है

🔶 मैं अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हूँ

बस यही सोचना है जो ज़िन्दगी को बदल कर रख देगा। 

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