अमानुषिक एवं घृणित सोच
अमानुषिक एवं घृणित सोच :
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शारीरिक रंग के प्रति दुर्भावना और घृणा अपराध की श्रेणी में आता है। क्योंकि रंग ईश्वर की देन है। इसमें व्यक्ति का कोई योगदान नहीं।हैं ये बात मानी जा सकती है कि शारीरिक रंग पर प्राकृतिक स्थितियों और कार्य की जटिलताओं का प्रभाव पड़ता है। निरंतर धूप गर्मी या कठिन परिस्थिति में काम करने वाले यदि साफ रंग के हो भी तो वो कुछ समय बाद गाढ़ें रंग के हो जाते हैं। परंतु रंग से व्यक्तित्व का कोई लेना लेना नहीं। अभी हाल ही कि एक घटना ने इस कि पुसजती कर दी कि आज भी रंग के आधार पर भेदभाव करके तिरस्कार किया जाता है।
उदयपुर शहर के एक युवक का विवाह थोड़ी सांवली लड़की से हुआ। वह इस बात को हजम नहीं कर पा रहा था। शादी के कुछ दिनों बाद ही उसने कैमिकल से भरी एक शीशी लेकर पत्नी को दी कि इसे शरीर पर लगा लो रंग गोरा हो जाएगा। पत्नी ने उस बोतल का केमिकल सूंघा तो अजीब सी गन्ध आई उसने लगाने से मना कर दिया। तो उसने जबरन उससे पूरे बदन पर केमिकल लगवाया। और फिर एक अगरबत्ती जला कर उसजे शरीर से छुआ दी। जिससे उसके शरीर में आग लग गई। उसजे बाद आग को और भड़काने के लिए उसने एक बोतल केमिकल पत्नी के शरीर पर और डाल दिया। जिससे उसकी सारी चमड़ी झुलस कर जल गई। और उसकी मौत हो गई।
अब इस घटना के पहलुओं पर विचार करते हैं। पहला पॉइंट- ये कि अगर उसको वह सांवले रंग की युवती पसन्द ही नहीं थी तो उसने विवाह के पहले ही उससे शादी करने को मना क्यों नहीं किया ? ? क्योंकि जबरन समझौते की शादी में विघ्न तो आना ही था। दूसरा पॉइंट - सिर्फ़ रंग से इतनी नफरत कैसे हो गई कि उसने पत्नी को मारने की योजना बना ली.....उसे छोड़ देता या अलग हो जाता। तीसरा पॉइंट- इतना अमानुषिक व्यवहार कैसे कोई सोच सकता है कि सामने पत्नी जलन से तड़प रही हो और उसे पूरी तरह भस्म करने के लिए अगरबत्ती से आग लगा दी हो। ये निहायत ही घृणित कृत्य है। अच्छा है जिसके लिए अदालत ने उस पति को फांसी की सजा सुना दी। यही हश्र उसका होना चाहिए था।
विवाह सिर्फ दो लोगों का गठबंधन नहीं होता। बल्कि साथ रहने से मन का भी मिलन होता है। एक दूसरे की ख्वाहिशों का ख्याल रखना। एक दूसरे की केअर करना। सुख दुख में साथ खड़े होना। पीड़ा में संभालना। ये सब होते होते दो अनजानों में भी प्रेम पनप ही जाता है। आखिर किसी की भी मूल जरूरत प्यार और देखभाल होती है। भारतीय परंपरा में जो अरेंज विवाह होते हैं। उसमें दो अनजान इसी तरह जुड़ते हैं। लेकिन साथ रहते रहते उनमें भी आपसी लगाव हो जाता है। फिर ये व्यक्ति इतना अमानवीय कैसे हो गया कि पत्नी के साथ ऐसा कर डाला। निंदनीय और घृणित कृत्य है ये और सजा भी मुक्कमल मिली।
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