मासूम खूबसूरती

मासूम खूबसूरती : अडेनियम

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धैर्य जब फलता- फूलता है, तो जीवन अडेनियम-सा खिला लगता है । बरामदे के एक कोने में रखे ये दो गमले खिलखिला कर यही कहते हैं। पहली नज़र में ये किसी साधारण पौधे जैसा ही लगेगा मोटा सा तना, थोड़ी-सी शाखाएँ, और ऊपर छोटी-सी पत्तियाँ । पर जब इसकी कली फूटती है और गुलाबी-लाल फूल खिलते है.....तो लगता है मानो गमले में कई दीपक जल रहें हो ।

            संस्कृत में इसका कोई पुराना नाम नहीं मिलता, पर यदि मिलता तो शायद इसे "मरुवल्लरी" या "मरीचिपुष्पा" कहा जाता क्योंकि यह सूखे में भी अपने सौंदर्य से चकित करता है । अंग्रेज़ी में इसे Desert Rose कहते हैं, और यह नाम इसके स्वरूप पर पूरी तरह खरा उतरता है ।

            ये पौधे मैंने इसके बीज से grow किये है। एक नन्हे बीज से सेंटीमीटर में बढ़ते हुए इसे रोज देखते रहे।  नन्हें और मासूम से पौधे ।  मिट्टी बदलते हुए, पानी डालते हुए, धूप दिखाते हुए धीरे धीरे ये बड़े हो गए। ये दो रंग के विकसित हुए और दोनों ही इतने मनभावन। 

           इसकी सबसे सुंदर बात है..... उसका धैर्य । कई दिन तक यह बस मौन खड़ा रहता है, बिना किसी हरियाली या फूल के। लगता है मानो इसमें जीवन ही नहीं । पर अचानक एक दिन यह कली बाँध लेता है, और फिर ऐसे फूल देता है कि पूरा गमला उत्सव-सा लगने लगता है। यही इसकी साधना है.......मौन के भीतर छिपी तैयारी ।

                जब भी इसके पास बैठो तो लगता है यह पौधा हमसे संवाद करता है—देखो, परिस्थितियाँ चाहे सूखी हों या कठोर, बस अपने भीतर का रस बचाकर रख सको तो कभी न कभी फूल ज़रूर खिलेंगे। परिस्थितियों की धूप से घबरा कर जीवन नहीं रुकता बल्कि अंदर की नमी उसे जीवंत बनाये रखेगी। यह पौधा मेरे लिए केवल सजावट नहीं है, बल्कि एक प्रतीक है......धैर्य और आशा का ।

             सुबह की धूप जब इसकी पत्तियों पर पड़ती है, तो चमकती रंगों भरी हरियाली मन को ताजगी देती है । शाम को, जब इसके फूल हल्की हवा में डोलते हैं, तो लगता है जैसे दिन भर का थकान उतार कर अंगड़ाई ले रहे हैं ।

           मेरे गमले का यह अडेनियम मेरी दिनचर्या में एक शांत संगीत-सा है..........धीरे-धीरे, बिना शोर किए, जीवन में अनगिनत रंग भरता हुआ। 

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