ख़ूब खेल खेलती है जिंदगी

ख़ूब खेल खेलती है जिंदगी : 

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क्या खूब खेल खेलती है जिंदगी

हम उसके भुलावे में ही उलझे रहते हैं

लगता है वो मौके दे रही इसलिए

उसकी देनदारियों को शुक्रिया कहते हैं

पर हर बार वो हमें अपनी शर्तों पर

चलाती है और हम चलने को मजबूर हैं

कोई अनचाहा लम्हा जिसके बारे में

सोचना भी मुश्किल उसे जीते है सहते है

जिंदगी अपने दस्तूर से चलती है

कुछ रस्ते सब्र के होते हैं कुछ सबक के

उसकी लहरें अपनी मर्ज़ी से हमको

लेकर जिस ओर बहती है....हम बहते हैं

                ~ जया सिंह ~  

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